Policy

Editorial Policy


सम्पादकीय नीति

प्रमुख संपादक सम्पादकीय बोर्ड के सदस्यों की सिफ़ारिशों पर प्रमुख विद्वानों और भाषा विशेषज्ञों के बीच ही पीर-रेफ्रीज़ (peer referees) का चयन करता है l सामग्री की समीक्षा हेतु दो रेफ्रीज़ को पांडुलिपि भेजी जाती हैं और लेखकों की पहचान गुप्त रखी जाती है l पांडुलिपि की स्वीकृति रेफरी की सिफ़ारिशों पर आधारित होती है l यदि कोई दोष या त्रुटी प्रेषित सामग्री में पाई गई तो पांडुलिपि तीसरे रेफरी को अंतिम निर्णय के लिए भेजी जाती    है l

      विश्लेषित सामग्री / पांडुलिपियाँ सम्बंधित लेखक को सिफारिशों / टिप्पणियों के साथ वापस भेजी जाती है l यद्यपि रेफरी के नाम गोपनीय रखे जाते है l सम्बंधित लेखक को रेफरी की टिप्पणियों के जवाब में किए गए संशोधनों / सुधारों को स्पष्ट रूप से बताना होगा l प्रकाशन के लिए स्वीकृति या अस्वीकृति के सम्बन्ध में अंतिम निर्णय मुख्य संपादक द्वारा सम्बंधित लेखक को ईमेल किया जाता है l Peer review प्रक्रिया में सामान्यतः पांडुलिपि जमा होने के छ: से आठ सप्ताह लगते है और आलेख उनकी स्वीकृति के छ: माह पश्चात् प्रकाशित होते हैं l





Ethical Policy


नैतिक नीति

नैतिक कदाचार की रोकथाम के लिए प्रतिबद्ध, हम उम्मीद करते हैं कि लेखक ‘वितस्ता’ को पांडुलिपि प्रस्तुत करने से पहले हमारी नैतिक नीति को पढ़ेंगे और उसका पालन करेंगे। लेखक को यह पुष्टि करते हुए संपादक को एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि आलेख एक मूल कार्य है और यह कहीं पर प्रकाशित नहीं हुआ है। सम्पूर्ण सामग्री के स्रोत और सन्दर्भ की खुले तौर पर खुलासा किया जाना चाहिए।

साहित्यिक चोरी जैसी समस्यओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है l आलेख प्रेषित करने से पहले plagirisim का ध्यान रखें, मौलिक शोध कार्य की ही स्वीकार्यता है l साहित्यिक चोरी या कॉपीराइट का उल्लंघन कभी-कभी समझ की कमी के कारण हो सकता है, और जरूरी नहीं कि धोखाधड़ी के इरादे से हो। आलेख भेजने से पहले सामग्री की मौलिकता की जांच करने के लिए, साहित्यिक चोरी का पता लगाने वाले कश्मीर विश्वविद्यालय की साहित्यिक चोरी विरोधी नीति सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें l